सीधी सादी हैं ग़ज़लें |
दिल को छूती हैं ग़ज़लें ||
उर्दू ईमाँ है इन सबका |
ये हिन्दी की हैं ग़ज़लें ||
दिल की बंजर धरती पर |
फ़स्लें होती हैं ग़ज़लें ||
सब टूटे दिल वालों को |
राहत देती हैं ग़ज़लें ||
गंगा -जमुनी महफ़िल में |
हरदम छाती हैं ग़ज़लें ||
क्या अन्दर क्या बाहर है ?
सब बतलाती हैं ग़ज़लें ||
कितना झुठलाना चाहो |
पर सच कहती हैं ग़ज़लें ||
आईना सब के दिल का |
झट बन जाती हैं ग़ज़लें ||
दरिया बन कर ख़्वाबों का |
मन में बहती हैं ग़ज़लें ||
चाहे जो भी हो सबके |
अन्दर बसती हैं ग़ज़लें ||
डा ० सुरेन्द्र सैनी
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