Monday, 14 November 2011

सीधी सादी हैं ग़ज़लें


सीधी   सादी   हैं   ग़ज़लें |
दिल  को  छूती हैं ग़ज़लें ||

उर्दू  ईमाँ  है  इन  सबका |
ये  हिन्दी  की  हैं  ग़ज़लें || 

दिल की बंजर धरती पर |
फ़स्लें   होती   हैं  ग़ज़लें ||

सब  टूटे  दिल  वालों  को |
राहत   देती   हैं    ग़ज़लें || 

गंगा -जमुनी  महफ़िल में |
हरदम   छाती  हैं   ग़ज़लें || 

क्या अन्दर क्या बाहर  है ?
सब  बतलाती  हैं   ग़ज़लें || 

कितना   झुठलाना  चाहो |
पर  सच कहती हैं ग़ज़लें ||

आईना  सब  के दिल का |
झट बन जाती  हैं ग़ज़लें ||

दरिया बन कर ख़्वाबों का |
मन  में  बहती  हैं  ग़ज़लें || 

चाहे  जो  भी  हो   सबके |
अन्दर  बसती हैं  ग़ज़लें || 

डा ०  सुरेन्द्र  सैनी  

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