वो गए क्या नज़र को बचा कर दिल में तूफ़ान सा उठ गया है |
दूर जाकर मुड़े मुस्कुरा कर दिल में तूफ़ान सा उठ ग या है ||
अब तलक तो थे हम इस भरम में प्यार का नाम ही ज़िंदगी है |
जब से देखा है दिल को लगा कर दिल में तूफ़ान सा उठ गया है ||
हम रदीफ़ों में उलझे पड़े थे सबने कह डाली गज़लें मुक़म्मल |
चल पड़े अपनी अपनी सुना कर दिल में तूफ़ान सा उठ गया है ||
ज़िंदगी में किसी से न हारे ये मगर जबसे औलाद पाई |
एसा रक्खा है हम को नचा कर दिल में तूफ़ान सा उठ गया है ||
कहने बैठे ग़ज़ल ज़िन्दगी की बीच रस्ते क़लम थम गई है |
हमने देखा उसे गुनगुना कर दिल में तूफ़ान सा उठ गया है ||
डा० सुरेन्द्र सैनी
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