Wednesday, 2 November 2011

वो गए क्या नज़र


वो  गए  क्या  नज़र  को  बचा  कर  दिल  में  तूफ़ान   सा    उठ  गया  है |
दूर  जाकर  मुड़े  मुस्कुरा  कर दिल  में  तूफ़ान     सा     उठ    ग या   है ||

अब  तलक  तो  थे  हम   इस  भरम  में  प्यार  का  नाम  ही  ज़िंदगी  है |
जब  से  देखा  है  दिल  को  लगा  कर दिल  में  तूफ़ान  सा  उठ  गया  है ||

हम  रदीफ़ों  में  उलझे  पड़े  थे  सबने  कह  डाली  गज़लें      मुक़म्मल |
चल  पड़े  अपनी  अपनी  सुना  कर दिल  में  तूफ़ान  सा   उठ  गया  है ||  

ज़िंदगी   में   किसी   से   न   हारे    ये    मगर   जबसे    औलाद    पाई |
एसा  रक्खा   है  हम  को  नचा  कर दिल  में  तूफ़ान  सा  उठ  गया  है ||

कहने    बैठे    ग़ज़ल    ज़िन्दगी    की  बीच  रस्ते  क़लम  थम   गई  है |
हमने  देखा  उसे  गुनगुना  कर दिल  में  तूफ़ान     सा    उठ    गया   है ||

डा० सुरेन्द्र सैनी   

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